Friday, December 11, 2020

Love and the lonely

"Capacity to love. It may look paradoxical to you, but it's not. It is an existential truth: only those people who are capable of being alone are capable of love, of sharing, of going into the deepest core of another person--without possessing the other, without becoming dependent on the other, without reducing the other to a thing, and without becoming addicted to the other. They allow the other absolute freedom, because they know that if the other leaves, they will be as happy as they are now. Their happiness cannot be taken by the other, because it is not given by the other."

Osho

Tuesday, November 24, 2020

बगावत

कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आये..
और कुछ मिरी मिट्टी में बग़ावत भी बहुत थी..
-परवीन शाकिर

Thursday, November 05, 2020

आग

तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे खत मैं जलाता कैसे
तेरे खत मैं आज गंगा में बहा आया हूं
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूं।

-राजेन्द्र नाथ रहबर #जन्मदिन

Thursday, January 02, 2020

रिश्तों का बाग़


एक फूल यहाँ खिलता है,
एक ख्वाब यहाँ पलता है,
जीवन के वन में धीरे धीरे
एक बाग़ नया बनता है। 

कितने आसमानों से हर शाम
परिंदे यहाँ उतर आते हैं,
कुछ अपने से हो कर, कुछ सहमे से,
इन्हीं शाखों पर चहचहाते हैं।

कुछ बतियाते, कुछ कहकहे लगाते हैं,
कुछ यूँ ही वहां दूर खड़े मुस्कुराते हैं,
और आहिस्ता आहिस्ता उनमें से कुछ
जीवन में उतरते जाते हैं।

रिश्ते कहाँ सिर्फ रिश्ते रहते हैं
हिमालय से रुके, तो कभी गंगा से बहते हैं।
रोज़ जिसे सजाया नहीं जाता,
वो एक जुड़ा हुआ इतिहास कहते हैं।

यूँ तो राहें कई निकलतीं हैं,
कुछ दूर तलक जाती,
कुछ काफिलों से संवरती,
तो कुछ अंधड़ों से निपटती हैं । 
कुछ नुक्कड़ पर सिमटती हैं
या गलियारों में मिल जाती हैं ।

बागों में फूलों की खुशबुएँ,
जब इन गलियारों से होकर ,
लम्बी राहों पर जाती हैं,
भेद नहीं करती हैं वो,
सब राहों को चुनती,
चूमती, झूमती गाती, और
जीवन के उल्लास से सराबोर
बिना शर्त, बिना शर्म,
वो सबको मिलाती, सुनती, बताती हैं।

इन्हीं राहों पे चलकर
इन्हीं गलियारों से मिलकर,
अपनों से मिलो और 
कुछ समय बिताओ,
कुछ पल के लिए रोको ये काफिला,
कुछ आनंद के गीत गाओ,

कुछ कहो अनजाना सा,
कुछ कही सुनी दोहराओ,
जितने पल झोली में हैं,
उतने दीप जलाओ |

महको, चमको और सबको जीवन का अमृत पान कराओ !