Tuesday, April 09, 2019

कुछ ख्वाब देख लिए जाएं

रेखते के उसूल नहीं मालूम, 
पर कुछ हर्फ़ तो लिख दिए जाएं
हम कौनसे रहेंगे यहां हर वक्त मौजूद,
कुछ दर्द दे दिए जाएं कुछ सह लिए जाएं

रिवायतों से बंधे, कुछ गुच्छे खोल दिए जाएं
सदियों से भरे अंधियारों के प्याले उड़ेल दिए जाएं
वो कह गए कि हर प्रश्न का उत्तर नहीं है
पर ज़हन में जो हैं प्रश्न, पटल पर रख दिए जाएं

और कुछ हो न हो, ख्वाबों की अमीरी तो है
शराब हो हम पियें नहीं, ये ज़मीरी ही तो है
खुलते सूरज में, अध खुली आँखों से ही सही,
कुछ ख्वाब देख लिए जाएं, कुछ ख्वाब बांट दिए जाएं।

जो रम्ज़  है दिल में, भुला दिए जाएं
जो तूफान है अंदर, लुटा दिए जाएं
किनारे छोड़ दिये जाएं
प्याले तोड़ दिए जाएं
जो दिन मय्यसर हैं महफ़िल के
फिलहाल, जी लिए जाएँ।

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