तुम मुड़ कर देखती हो
तो हृदय में आहात होती है
तुमरे स्पर्श से मेरी प्रार्थना के शब्द
बदल जाते हैं।
तुम नही होती हो पास
तो मेरा मन मुझसे दूर होता है।
इस तरह तुम्हारे प्यार का असर
है कि मैं अपने में नही समा रह।
लक्ष्मण रेखाओं के पार
सोने कि लंका कि तरफ
मेरे पर मुझे खींच रहे हैं
अब तक जो निष्चल था
Us पानी को झिंझोड़ रहे हैं ।
बस ये ख्याल रहे
लंकाओं को बांधना मुझे आता हैं
लांघना नहीं।
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